WTO में भारत का उड़ाया था मजाक, थाईलैंड के राजदूत की गई कुर्सी, समझिए एक्शन के पीछे की पूरी इनसाइड स्टोरी

India Thailand Clash Over Rice: वैश्विक मंच पर भारत पर आरोप लगाना थाईलैंड की राजदूत पिमचनोक वोंकोर्पोन पिटफील्ड को महंगा पड़ा है. भारत के विरोध के बाद थाईलैंड ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) की बैठक से अपनी राजदूत पिमचनोक वोंकोर्पोन पिटफील्ड को वापस बुला लिया है. अब उनकी जगह थाईलैंड के विदेश सचिव डब्लूटीओ में हिस्सा लेंगे. भारत की नाराजगी के बाद थाईलैंड ने ये कदम उठाया है. दरअसल विश्व व्यापार संगठन (WTO) की बैठक में थाईलैंड की राजदूत ने भारत पर आरोप लगाया था कि वो सब्सिडी पर सस्ते दाम पर चावल खरीदकर उसे एक्सपोर्ट कर मार्केट पर कब्जा कर रहा है. भारत ने इस बयान की निंदा करते हुए बैठक का बायकॉट किया था. 

भारत ने जताई थी नाराजगी

थाईलैंड के राजदूत के इस बयान पर थाईलैंड और भारत के बीच राजनायिक तनाव बढ़ने लगा था. भारत ने थाईलैंड के राजदूत की भाषा और उनके बर्ताव को लेकर थाईलैंड सरकार के सामने आपत्ति जताई थी। थाईलैंड भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहता है. ऐसे में  उसने अपने राजदूत पिमचानोक को हटाने का निर्णय लिया. भारत के विरोध और बहिष्कार के चलते थाईलैंड पर दबाव बढ़ा. भारत ने थाईलैंड के राजदूत के गलत दावे का प्रबलता के साथ विरोध किया. 

भारत के विरोध के सामने थाईलैंड का सरेंडर

थाईलैंड की इकोनॉमी पहले से मंदी के मुहाने पर खड़ी है. ग्रोथ रेट लगातार गिर रहा है. वहीं भारत के साथ उसके व्यापारिक संबंध काफी अच्छे है. ऐसे में वो इन संबंधों को खराब नहीं करना चाहता है.  थाईलैंड कई चीजों के लिए भारत पर निर्भर है. वहीं भारतीय कंपनियों, टूरिस्ट और भारत को होने वाले निर्यात पर उसकी इकोनॉमी की निर्भरता है. ऐसे में भारत के साथ संबंध बिगड़ने से होने वाले नुकसान का असर भी अर्थव्यवस्था पर पड़ता.  थाईलैंड की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 1.9% रह गई. वहीं भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान से ऊपर 8.4 फीसदी की रफ्तार से भाग रहा है. जहां दुनिया के तमाम बड़े देश मंदी के डर से जूझ रहे हैं. वहीं भारत की तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था सबका ध्यान खींच रही हैं. ऐसे में भारत की नाराजगी झेल थाईलैंड अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहता. 

चावल का बड़ा निर्यातक है भारत, थाईलैंड के लिए चुनौती  

भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है. ग्लोबल राइस एक्सपोर्ट में भारतीय चावल की हिस्सेदारी 40.4 फीसदी है. वहीं थाईलैंड की हिस्सेदारी 15.3 फीसदी है.पिछले साल घरेलू बाजार में चावल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने गैर बासमती चावलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसका पश्चिमी देशों ने विरोध भी किया. गैस बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद भारत चावल निर्यात में टॉप पर है. थाईलैंड चावल निर्यात में भारत से आगे नहीं निकल पा रहा है, जो उसक नाराजगी की एक बड़ी वजह है. वहीं भारत के गैर बासमती चावल निर्यात के आशिंक प्रतिबंध के फैसले से पश्चिमी देशों भी नाखुश हैं. इसलिए वो भी थाईलैंड के समर्थन में खड़े दिखे.

Written By

DESK HP NEWS

Hp News

Related News

All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.

BREAKING NEWS
विधानसभा उपचुनाव में वसुंधरा-पायलट की भूमिका होगी अहम, बीजेपी-कांग्रेस के ये दिग्गज भी दिखाएंगे अपना दम! | करंट से युवक की मौत, मासूमों के सिर से उठा पिता का साया गम मे बदली दिवाली की खुशियां | जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | गाजियाबाद में पड़ोसी ने युवती के साथ किया दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार | मदरसे में 7 साल के बच्चे की संदिग्ध हालत में मौत, गुस्साए लोगों ने किया हंगामा | रक्षाबंधन पर भाई ने उजाड़ दिया बहन का सुहाग, दोस्त के साथ मिलकर की बहनोई की हत्या, आरोपी गिरफ्तार | गाजियाबाद में नामी स्कूल की शिक्षिका को प्रेम जाल में फंसा कर धर्मांतरण के लिए किया मजबूर, आरोपी गिरफ्तार | यूपी टी-20 प्रीमियर लीग के उद्घाटन समारोह के लिए सीएम योगी को मिला आमंत्रण | विनेश फोगाट का अधूरा सपना पूरा करेगी काजल, अंडर-17 विश्व चैंपियनशिप में जीता गोल्ड |