दिल्ली यूनिवर्सिटी में इसी साल से नेट परीक्षा के आधार पर होगा पीएचडी में एडमिशन - PhD Admission Through NET Exam

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से सभी विश्वविद्यालयों में नेट परीक्षा के माध्यम से पीएचडी में दाखिले का नियम बनाने के बाद विश्वविद्यालयों में इसे लागू करने को लेकर मंथन चल रहा है. वहीं, कुछ विश्वविद्यालय इसे इसी साल नए सत्र से लागू करने की तैयार में लग गए हैं. इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह तय कर लिया है कि वह इसी साल जून में होने वाली नेट परीक्षा के आधार पर नए सत्र में पीएचडी के दाखिले करेंगे.

डीयू कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि इस साल यूजीसी द्वारा लाए गए इस नए नियम को डीयू इसी साल से अपनाने जा रहा है. इस साल डीयू में दाखिले पीएचडी के लिए कॉमन एंट्रेंस के आधार पर नहीं बल्कि नेट परीक्षा के 70% अंकों और इंटरव्यू के 30% अंकों के आधार पर होंगे, जैसा कि यूजीसी ने गाइडलाइन जारी की है. यूजीसी का नया नियम आया है तो कामन एंट्रेंस टेस्ट की जरूरत नहीं हेागी. अब नेट के मुताबिक ही प्रवेश लिए जाएंगे.

छात्रों को मिलेगा फायदा
उन्होंने यह भी बताया कि इससे छात्रों को यह फायदा होगा कि उन्हें अलग-अलग विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग पीएचडी दाखिले की परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी. साथ ही, अलग-अलग फॉर्म भरने से खर्च होने वाले पैसे की भी बचत होगी. डीयू में पिछले साल चार केंद्रीय विश्वविद्यालयों डीयू, जेएनयू, बीएचयू और अंबेडकर विश्वविद्यालय (लखनऊ) के पीएचडी कोर्स में दाखिले के लिए हुए कामन एंट्रेंस टेस्ट के जरिये पीएचडी में प्रवेश देने की प्रक्रिया अपनाई गई थी.

अब नए सत्र में नए नियम को लागू करने से पहले डीयू प्रशासन अकादमिक और कार्यकारी परिषद की स्वीकृति भी लेगा. इस प्रक्रिया के जल्द पूरी होने की संभावना है. बता दें कि डीयू में नेट और जेआरएफ उत्तीर्ण छात्र पीएचडी में सीधे प्रवेश के लिए पहले भी आवेदन करते थे. कुछ सीटों पर नेट जेआरएफ से दाखिला दिया जाता था. शेष बची सीटों के लिए एंट्रेंस टेस्ट लिया गया. एंट्रेंस के बाद डीयू में पीएचडी में प्रवेश के लिए अलग-अलग विभागों ने स्वयं की प्रक्रिया अपनाई. हिंदी विभाग में साक्षात्कार के अंकों को पूरा महत्व दिया गया. कामन एंट्रेंस टेस्ट के जरिये आए छात्रों को महत्व नहीं दिया गया. इससे एंट्रेंस टेस्ट में अच्छे अंक लाने के बावजूद कई छात्रों को प्रवेश नहीं मिल सका. अर्थशास्त्र विभाग ने पारदर्शिता बरतने के लिए साक्षात्कार के साथ प्रजेंटेशन भी लिया. डीयू के एक प्रोफेसर ने बताया कि यूजीसी के नए नियम से छात्रों को फायदा होगा. डीयू में इस वर्ष पीएचडी प्रवेश में एकरूपता नहीं रही. नेट के जरिये प्रवेश के नियम से एकरूपता आ जाएगी. बता दें कि पिछले साल डीयू में पीएचडी प्रवेश के लिए दो चरण आयोजित किए गए थे. इनमें 19899 विद्यार्थियों ने पंजीकरण करवाया था जिनमें से प्रवेश के पहले और दूसरे चरण में कुल 1655 विद्यार्थियों का प्रवेश हो चुका है.

डीयू के अधिकांश छात्र कर रहे नए नियम का समर्थन
यूजीसी के नए नियम को लेकर के डीयू के अधिकांश छात्र इसका समर्थन कर रहे हैं. मास्टर ऑफ जर्नलिज्म कोर्स के छात्र चिराग ने कहा कि यूजीसी के नए नियम से अब छात्रों को अलग-अलग विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए अलग-अलग पीएचडी की प्रवेश परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी. अभी तक छात्र अलग-अलग यूनिवर्सिटी की पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए अलग-अलग तैयारी करते थे. अलग-अलग उन्हें तारीखें चेक करनी पड़ती थी, जिससे परेशानी होती थी. अब सिर्फ एक ही नेट की परीक्षा के आधार पर छात्र सभी विश्वविद्यालय में पीएचडी दाखिले के लिए योग्य माने जाएंगे.

साथ ही, देश के सभी विश्वविद्यालय की पीएचडी की सीटों को हम एक ही नजरिए से देख सकेंगे. इससे पीएचडी के दाखिले में एकरूपता भी आएगी और सभी छात्रों को समान अवसर मिलेंगे. अभी तक अलग-अलग विश्वविद्यालय अलग-अलग पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराते थे, जिससे छात्रों को समान अवसर नहीं मिल पाए थे.

वहीं, यूजीसी के इस नए नियम का समर्थन करते हुए एमए पॉलिटिकल साइंस की छात्रा वसुंधरा ने कहा कि हम यूजीसी के नए नियम का समर्थन करते हैं, क्योंकि इससे छात्रों के लिए बहुत आसानी हो जाएगी. वह अलग-अलग विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के लिए अलग-अलग सेंटरों पर भटकते थे. उससे परेशानी होती थी. अब सिर्फ छात्र नेट की परीक्षा पर ही फोकस कर सकेंगे, जिससे उनको तीन फायदे होंगे. उनका नेट क्लियर होगा, जेआरएफ भी होगा और नेट से पीएचडी में दाखिले का भी अवसर मिलेगा. इसलिए यह बहुत ही अच्छा निर्णय है. इसका स्वागत करते हैं और यूजीसी सेंट्रल बॉडी है, इसलिए उम्मीद है कि अन्य सभी विश्वविद्यालय भी इसे अपनाएंगे.

वहीं, डीयू के एमए के छात्र आदर्श कुमार सिंह ने कहा कि इस नियम से जो छात्र अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन के पहले वर्ष में ही नेट की परीक्षा देकर उसे पास कर लेते थे ऐसे छात्रों को नुकसान होगा. क्योंकि अब नेट की समय सीमा एक साल तय की गई है. नेट पास करने के एक साल के अंदर ही छात्रों को पीएचडी में दाखिला लेना पड़ेगा. पहले नेट की जो लिमिट थी वह लाइफ टाइम के लिए होती थी. अगर आपने मास्टर्स के फर्स्ट ईयर या सेकंड ईयर में नेट परीक्षा पास कर ली है तो वह हमेशा के लिए योग्य माना जाता था. अब इस नए नियम से छात्रों को इस तरह से मौका नहीं मिल पाएगा. इसलिए हम इस नए नियम को सही नहीं मानते हैं.

जेएनयू छात्रसंघ ने किया है नए नियम का विरोध
छात्र संगठन आइसा और जेएनयू छात्रसंघ ने नए नियम को लेकर विरोध जताया है. जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय का कहना है कि यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों में पीएचडी में दाखिले के लिए नेट के स्कोर और इंटरव्यू के अंकों को आधार बनाने से विश्वविद्यालयों की पीएचडी दाखिले के लिए अपनी-अपनी स्वायत्तता खत्म होगी. छात्र-छात्राओं को पीएचडी में दाखिले के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से जो कई बार मौका मिलता था वह अब खत्म हो जाएगा. इससे छात्रों को नुकसान होगा.

दिसंबर की नेट परीक्षा के आधार पर एयूडी भी देगा पीएचडी में प्रवेश
दिल्ली सरकार का डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (एयूडी) भी जून माह की नेट परीक्षा को छोड़कर दिसंबर में दिसंबर में होने वाली नेट परीक्षा के आधार पर अगले सत्र में पीएचडी में दाखिला देगा. विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अनु सिंह लाठर ने बताया कि इस साल होने वाली पीएचडी दाखिलों के लिए हमने अपने विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा संपन्न कर ली है. इसलिए इस बार हम अपनी प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही पीएचडी में दाखिले कर रहे हैं. अभी 177 सीटों में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है, जो इस महीने पूरी हो जाएगी.

जामिया और जेएनयू द्वारा नए नियम पर अभी नहीं हुआ निर्णय
जामिया मिलिया इस्लामिया और जेएनयू दोनों केंद्रीय विश्वविद्यालय के इस साल से पीएचडी में दाखिले के लिए नेट परीक्षा को अपनाने को लेकर अभी विचार विमर्श चल रहा है. दोनों विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अभी विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद में इस बारे में चर्चा होगी उसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.

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