जयपुर. राजधानी के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक नया मेहमान आ गया है. महाराष्ट्र से 1400 किलोमीटर लंबा सफर तय करके बाघिन नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाई गई है. वन विभाग की टीम महाराष्ट्र के पुणे से बाघिन 'भक्ति' को लेकर गुरुवार सुबह नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंची. बाघिन 'भक्ति' नाहरगढ़ लायन सफारी की शान बनेगी. बाघिन की उम्र करीब 7.5 वर्ष है. बाघिन को 21 दिनों तक क्वॉरेंटाइन रखा जाएगा. इसके बाद पर्यटकों के लिए डिस्प्ले एरिया में छोड़ा जाएगा. बाघिन के आने से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी का माहौल है.
जयपुर चिड़ियाघर के डीएफओ जगदीश गुप्ता के मुताबिक वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर अरविंद माथुर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम महाराष्ट्र के पुणे स्थित राजीव गांधी जूलॉजिकल पार्क से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत बाघिन को लेकर जयपुर पहुंची है. सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन के बाद एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दो मादा वुल्फ और एक नर वुल्फ, एक मादा जरख (हाइना) पुणे के राजीव गांधी जूलॉजिकल पार्क को दिया गया है.
1400 किमी का सफर रहा चुनौतीपूर्ण : वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर अरविंद माथुर के मुताबिक 1400 किलोमीटर का सफर तय करके बाघिन को सुरक्षित तरीके से लाना बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा है. बिल्कुल धीमी रफ्तार में टाइगर को लाया गया. रास्ते में सार संभाल की गई, ताकि किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो सके. वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर अरविंद माथुर की निगरानी में बाघिन को 3 सप्ताह क्वॉरेंटाइन रखा जाएगा. 24 घंटे बाघिन की मॉनिटरिंग रखी जाएगी. इसके बाद नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में डिस्प्ले में छोड़ा जाएगा.
जल्द शुरू होगी टाइगर सफारी : राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जल्द टाइगर सफारी शुरू होने वाली है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में टाइगर सफारी शुरू होने के बाद जयपुर में चार सफारी हो जाएगी. जयपुर में झालाना लेपर्ड सफारी, आमागढ़ लेपर्ड सफारी, नाहरगढ़ लायन सफारी पहले से ही है और अब टाइगर सफारी भी शुरू होने जा रही है. नाहरगढ़ की लायन सफारी पहले से ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. अब टाइगर सफारी भी पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र रहेगी.
इंडियन वुल्फ के बदले आसानी से मिल जाते हैं वन्यजीव : इंडियन वुल्फ की देश के अन्य चिड़ियाघरों में काफी डिमांड रहती है. जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में इंडियन वुल्फ का सफल प्रजनन हुआ है. नाहरगढ़ पार्क में इंडियन बुल्स अच्छी तादाद में है. इंडियन वुल्फ के बदले कोई भी वन्यजीव बड़ी आसानी से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत मिल जाता है. वुल्फ के बदले पहले भी कई वन्यजीव नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाए जा चुके हैं. हर साल नाहरगढ़ पार्क में इंडियन वुल्फ का सफल प्रजनन होता है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जिन प्रजातियों के वन्यजीव नहीं है, वह भी आने वाले समय में वुल्फ के बदले लाए जा सकेंगे. इंडियन वुल्फ के प्रजनन में पूरे देश में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क अव्वल नंबर पर है.
30 हेक्टेयर एरिया में विकसित की जा रही टाइगर सफारी : नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में करीब 30 हेक्टेयर एरिया में टाइगर सफारी विकसित की जा रही है. सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियमों के अनुसार 5 फीट ऊंची फेंसिंग की जाएगी. 30 हेक्टेयर क्षेत्र में चारों तरफ फेंसिंग की जाएगी. 10 नाइट शेल्टर बनाए जाएंगे, जा रात्रि के समय वन्यजीव को रखा जाएगा. करीब 8 किलोमीटर लंबा टाइगर सफारी ट्रैक बनाया जाएगा. वन्यजीवों के पानी पीने के लिए वाटर बॉडीज बनाई जाएगी. टाइगर सफारी में छायादार पेड़ पौधे लगाए जाएंगे, ताकि पूरे 12 महीने हरियाली बनी रहे.
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