जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (एसएमएस) समेत दूसरे अस्पताल में आज रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार किया है। पिछले दिनों राज्य सरकार के तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स को सस्पेंड करने के विरोध में ये कदम उठाया गया। इस कार्य बहिष्कार के चलते सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में इलाज करवाने पहुंचे मरीजों को हुई। क्योंकि यहां अधिकांश मरीजों को रेजिडेंट ही देखते हैं।
सोमवार सुबह एसएमएस मेडिकल कॉलेज के बाहर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने प्रदर्शन करते हुए प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश कुमावत ने बताया- पहले फरवरी में सरकार ने गलत खून चढ़ाने के मामले में रेजिडेंट डॉक्टर को एपीओ कर दिया था। अब भी सरकार ने जांच किए बिना एक पक्ष कार्यवाही करते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया। इस तरह हर बार रेजिडेंट डॉक्टरों पर एक तरफा कार्रवाई करना ठीक नहीं है। जांच करें और बताए कि डॉक्टर की क्या गलती थी। उसके बाद कार्रवाई की जानी चाहिए।
इससे पहले देर रात जार्ड की जीबीएम हुई थी। इसमें सभी पदाधिकारियों ने एकमत होकर सोमवार सुबह से कार्य बहिष्कार का निर्णय किया था। इस कार्य बहिष्कार में ओपीडी के अलावा आईपीडी और इमरजेंसी को भी शामिल रखा। जार्ड अध्यक्ष का दावा है कि इस कार्य बहिष्कार में 1500 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर्स शामिल हैं।
मरीजों को परेशानी, प्रोफेसरों ने संभाली ओपीडी
रेजिडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल का सबसे ज्यादा प्रभाव ओपीडी में रहा। एक दिन छुट्टी होने के कारण आज मरीजों की भीड़ ज्यादा रही। वहीं, चैम्बरों में डॉक्टरों के नहीं मिलने से मरीजों को इंतजार करना पड़ना। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफसर रैंक के डॉक्टरों के साथ कुछ इन सर्विस डॉक्टरों ने ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखा। उनका इलाज किया। सबसे ज्यादा भीड़ आज जनरल मेडिसिन डिपार्टमेंट में रही। यहां सुबह मरीजों की लंबी कतार देखने को मिली।
ऑपरेशन भी प्रभावित
इस हड़ताल का असर आज ऑपरेशनों पर भी दिखा। छोटे-मोटे ऐसे ऑपरेशन जिन्हें आगे के लिए टाला जा सकता है, उन्हें नहीं किया गया। केवल इमरजेंसी और जरूरी ऑपरेशन ही किए गए। इधर, इमरजेंसी में भी इन सर्विस डॉक्टरों की विशेष ड्यूटी लगाई गई।
इसलिए किया कार्य बहिष्कार
दरअसल, पिछले दिनों शास्त्री नगर स्थित कावंटिया हॉस्पिटल में एक प्रसूता की डिलीवरी हॉस्पिटल के बाहर चबूतरे पर होने के बाद प्रशासन ने तीन रेजिडेंट डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया था। सरकार ने इस प्रकरण में प्रथम दृष्टया रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत और डॉ. मनोज को दोषी माना। उनके निलंबन के आदेश जारी कर दिए। सरकार की इसी कार्रवाई के विरोध में आज डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया।
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