अजमेर दरगाह दीवान के बेटे ने किया वक्फ संशोधन कानून का समर्थन, बोले- इससे नुकसान नहीं, फायदा है

अजमेर : देशभर में वक्फ संशोधन कानून को लेकर जहां विरोध तेज़ है, वहीं अजमेर की दरगाह शरीफ से दो अलग-अलग राय सामने आई हैं। एक ओर दरगाह दीवान के बेटे ने इस कानून का समर्थन करते हुए कहा कि "यह मुस्लिम समुदाय के हित में है और इससे कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदे ही हैं", वहीं दूसरी ओर दरगाह से जुड़े वरिष्ठ सदस्य सरवर चिश्ती ने इसे सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि "जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं, वे सरकार की पे-रोल पर हैं।"


8 अप्रैल से लागू हुआ वक्फ संशोधन कानून

वक्फ से जुड़े विवादित कानून में हाल ही में संशोधन किया गया है, जो 8 अप्रैल 2025 से पूरे देश में लागू हो गया। इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड को अधिक प्रशासनिक अधिकार मिलते हैं और वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने व सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की प्रक्रिया को बल मिलता है।


दरगाह दीवान के बेटे का बयान: "इससे समुदाय को फायदा"

दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन के बेटे ने कानून का समर्थन करते हुए कहा कि,

“लोग इस कानून को बिना समझे विरोध कर रहे हैं। अगर ठीक से समझें तो यह समुदाय की संपत्तियों की सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए बेहतर कदम है।”

उन्होंने यह भी कहा कि,

“कानून का उद्देश्य संपत्तियों का दुरुपयोग रोकना है, न कि समुदाय को नुकसान पहुंचाना।”


सरवर चिश्ती का कड़ा विरोध: "सरकार की पे-रोल पर हैं समर्थक"

दरगाह कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सरवर चिश्ती ने इस समर्थन को राजनीतिक करार देते हुए कहा:

“जो लोग इस कानून के पक्ष में बोल रहे हैं, वे या तो सरकार की पे-रोल पर हैं या फिर जनता को भ्रमित कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि,

“यह कानून मुस्लिम संपत्तियों को छीनने का तरीका है। हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे।”


मुस्लिम समाज में बंटा नजरिया

इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट है कि मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग वक्फ कानून को लेकर बंटा हुआ है। जहां एक ओर कुछ बुद्धिजीवी और धार्मिक नेता इसे आधुनिक सुधार और पारदर्शिता की दिशा में कदम मानते हैं, वहीं कई संगठनों और नेताओं का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय की स्वायत्तता पर हमला है।


विरोध-प्रदर्शन की भी तैयारी

राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन की तैयारी चल रही है। कई मुस्लिम संगठनों ने इसे “धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप” बताया है और जन आंदोलन की चेतावनी दी है।


निष्कर्ष:

वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर अजमेर दरगाह जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल से विरोध और समर्थन की दो धाराएं निकलना यह दर्शाता है कि यह सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक बहस का केंद्र बन चुका है। आने वाले समय में इसका प्रभाव सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सामाजिक समीकरणों और धार्मिक नेतृत्व की साख पर भी असर डालेगा।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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