अंबेडकर जयंती से पहले रात को उदयपुर में झंडा लगाने पर विवाद, पुल‍िस से नोकझोंक

राजस्थान : के उदयपुर में डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती से एक दिन पहले कोर्ट चौराहे पर 'जय भीम' लिखा नीला झंडा लगाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। यह झंडा भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं द्वारा लगाया जा रहा था, जिसमें ‘जय भीम’ और ‘बाबा साहेब’ लिखा हुआ था, साथ ही अंबेडकर की तस्वीर भी छपी थी। झंडा लगाने के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस हुई और बाद में पुलिस ने क्रेन का इस्तेमाल कर झंडा हटा दिया।


क्या था पूरा विवाद?

रात के समय कोर्ट चौराहे पर जब कार्यकर्ता झंडा लगा रहे थे, तब पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। पुलिस अधिकारियों ने झंडा लगाने से मना किया, और सार्वजनिक स्थान पर बिना अनुमति के झंडा लगाने के खिलाफ कार्रवाई की। भूपालपुरा थानाधिकारी आदर्श परिहार ने मौके पर पहुंचकर झंडा हटवाने की कोशिश की और कार्यकर्ताओं से इसे उतारने का आग्रह किया।


पुलिस की कार्रवाई:

पुलिस ने स्पष्ट रूप से कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी झंडा लगाने से पहले प्रशासन से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य है। पुलिस का कहना था कि इससे पहले अंबेडकर जयंती को लेकर संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई थी, जिसमें इस बात पर सहमति बनी थी कि बिना अनुमति के कोई भी झंडा या पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर नहीं लगाया जाएगा।


कार्यकर्ता रहे अड़े:

वहीं दूसरी ओर, कार्यकर्ताओं का आरोप था कि उन्हें दलित होने की वजह से झंडा लगाने से रोका गया। उनका कहना था कि भीम आर्मी के कार्यकर्ता अपनी जड़ों को मानते हुए यह झंडा लगा रहे थे, जिसे प्रशासन ने गलत तरीके से हटवा दिया। हालांकि, पुलिस के मुताबिक, प्रशासन की अनुमति के बिना यह कार्रवाई की गई।


क्या था प्रशासन का फैसला?

पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए झंडा हटवाने के बाद कार्यकर्ताओं से समझाइश की। इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह सवाल खड़ा हो गया कि क्या सार्वजनिक स्थानों पर जयंती समारोह के दौरान बिना अनुमति के झंडे लगाना उचित है, खासकर जब प्रशासन द्वारा पहले ही नियमों की जानकारी दी गई थी।


निष्कर्ष:

यह विवाद सार्वजनिक स्थान पर झंडा लगाने और प्रशासन से अनुमति के मुद्दे को लेकर उठता है। कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच यह तकरार इस बात की ओर इशारा करती है कि सार्वजनिक स्थानों पर राजनीतिक और सामाजिक संदेश देने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य है, ताकि किसी भी तरह का विवाद न हो। इस घटना के बाद, अंबेडकर जयंती के आयोजन में शामिल होने वाले लोग प्रशासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार अपने कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना सकते हैं।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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