"महाराष्ट्र: शिंदे के गुस्से से लेकर PM मोदी के शरद पवार संग मंच साझा करने तक, महायुति के लिए क्या संकेत?"

महाराष्ट्र : की राजनीति में हाल के घटनाक्रमों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। 2024 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बावजूद महायुति गठबंधन के भीतर तनाव की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का बयान, "मुझे हल्के में न लें, 2022 में जब मुझे हल्के में लिया गया, तब मैंने सरकार बदल दी," ने सियासी चर्चाओं को और हवा दे दी है।

महायुति में तनाव के प्रमुख कारण

  1. मुख्यमंत्री और मंत्री पदों को लेकर मतभेद

    • चुनाव के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच खींचतान रही।

    • देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद गृह मंत्रालय की मांग पर भी विवाद हुआ।

    • शिंदे समर्थकों को पर्याप्त मंत्री पद न मिलने से असंतोष बढ़ा।

  2. जिलों के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति पर विवाद

    • रायगढ़ और नासिक में प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर शिंदे गुट और भाजपा आमने-सामने आ गए।

    • अंततः मुख्यमंत्री फडणवीस को नियुक्तियां टालनी पड़ीं।

  3. शिवसेना नेताओं की सुरक्षा घटाने का मामला

    • 20 से अधिक शिवसेना (शिंदे गुट) नेताओं की सुरक्षा श्रेणी घटा दी गई।

    • इससे शिंदे गुट में नाराजगी बढ़ी।

  4. शिंदे और फडणवीस की बैठकों में मतभेद

    • हाल ही में शिंदे ने नासिक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की बैठक छोड़ दी थी।

    • शिवसेना के कई नेता फैसलों में अनदेखी किए जाने की शिकायत कर चुके हैं।

क्या महायुति टूट सकती है?

विश्लेषकों का मानना है कि शिंदे के पास भाजपा का साथ छोड़ने का कोई बड़ा विकल्प नहीं है। अगर वह अलग होते हैं, तो उनके समर्थक विधायक भी सत्ता से बाहर होने के डर से उनका साथ छोड़ सकते हैं। फिलहाल, दोनों दलों में खींचतान जारी रहेगी, लेकिन सरकार के गिरने की संभावना कम है।

पीएम मोदी और शरद पवार का मंच साझा करना—क्या संकेत देता है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शरद पवार के हालिया सार्वजनिक मंच साझा करने और पीएम द्वारा पवार के प्रति सम्मान प्रकट करने को लेकर राजनीतिक हलकों में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने विपक्षी नेताओं के प्रति सम्मान दिखाया हो।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, शरद पवार और भाजपा के गठबंधन की संभावना फिलहाल बेहद कम है। अजित पवार पहले ही भाजपा के साथ जा चुके हैं, और शरद पवार ने अतीत में भाजपा से दूरी बनाए रखी है। ऐसे में महायुति में किसी बड़े बदलाव की संभावना फिलहाल नजर नहीं आती।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र की राजनीति में महायुति गठबंधन में असंतोष के स्वर उभर रहे हैं, लेकिन फिलहाल इसके टूटने की संभावना नहीं है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपनी पार्टी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भाजपा गठबंधन को एकजुट रखने का प्रयास कर रही है। आने वाले महीनों में महायुति के भीतर शक्ति संतुलन कैसे बदलता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

 

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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