जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा स्पीकर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डोटासरा ने कहा कि अंता विधानसभा क्षेत्र के विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त करने की फाइल को स्पीकर जानबूझकर लटका रहे हैं। उन्होंने इस मामले की तुलना राहुल गांधी की सदस्यता समाप्ति से करते हुए सवाल उठाया कि राहुल गांधी की सदस्यता तो 24 घंटे में चली गई, लेकिन कंवरलाल मीणा के मामले में इतनी देरी क्यों हो रही है?
कांग्रेस नेता कंवरलाल मीणा पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला काफी समय से लंबित है। पार्टी की ओर से उनकी सदस्यता समाप्त करने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन विधानसभा स्पीकर ने अब तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, "राहुल गांधी की सदस्यता को मात्र 24 घंटे में समाप्त कर दिया गया, लेकिन कंवरलाल मीणा की सदस्यता के मामले में फाइल को जानबूझकर घुमाया जा रहा है। यह राजनीति का दोहरा मापदंड है। स्पीकर को निष्पक्ष होकर निर्णय लेना चाहिए।"
डोटासरा ने कहा कि स्पीकर को संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत काम करना चाहिए। यदि किसी विधायक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी है, तो निर्णय में देरी क्यों की जा रही है?
कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त करने का निर्णय तुरंत लिया जाए।
विधानसभा स्पीकर को निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए।
किसी भी मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप से बचना चाहिए।
डोटासरा के बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस आंतरिक विवादों में उलझी हुई है और अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए विधानसभा स्पीकर पर दबाव बना रही है। बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस को पहले अपने घर को संभालना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि डोटासरा का यह बयान कांग्रेस के भीतर चल रहे आंतरिक विवादों का संकेत है। कंवरलाल मीणा का मामला पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है, और विधानसभा स्पीकर पर सवाल उठाकर कांग्रेस अपने पक्ष को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
कंवरलाल मीणा की ओर से इस मामले में अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उनके समर्थकों का कहना है कि वह पार्टी के अनुशासन का पालन करते हैं और स्पीकर का निर्णय स्वीकार करेंगे।
कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को और तेज करने का इशारा दिया है। यदि विधानसभा स्पीकर जल्द निर्णय नहीं लेते, तो कांग्रेस विधायकों द्वारा विधानसभा में विरोध प्रदर्शन भी किया जा सकता है।
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस और स्पीकर के बीच का यह टकराव राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है। अब देखना यह है कि स्पीकर कब तक इस मामले पर अंतिम निर्णय लेते हैं और कांग्रेस अपने विरोध को किस हद तक ले जाती है।
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