कर्नाटक: की राजनीति में 'गौड़ा परिवार' एक बहुत बड़ा नाम है, लेकिन आज उसी परिवार का वारिस एक बड़े अपराध का चेहरा बन चुका है। हासन से सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर रेप और यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोपों के अनुसार, पीड़िताओं की संख्या 50 से अधिक है जिनमें पुलिस कर्मचारी, डॉक्टर, NGO वर्कर, मेड और अन्य आम महिलाएं शामिल हैं। लेकिन अब तक सिर्फ 4 पीड़िताएं सामने आई हैं।
जांच एजेंसियों ने इस केस में 2000 पन्नों की चार्जशीट तैयार की है, जिसमें 150 गवाहों के बयान दर्ज हैं। बावजूद इसके, पीड़िताओं का सामने न आना और केस में देरी, भारतीय न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।
प्रज्वल रेवन्ना कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भतीजे और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते हैं। पिता एचडी रेवन्ना भी वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री हैं। परिवार की राजनीतिक ताकत और रसूख को देखते हुए माना जा रहा है कि पीड़िताएं राजनीतिक दबाव, समाजिक कलंक और सुरक्षा की चिंता के चलते सामने नहीं आ रही हैं।
ये केस सिर्फ एक व्यक्ति की काली करतूतों का खुलासा नहीं करता, बल्कि ये बताता है कि कैसे पावरफुल लोग सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं, और आम महिलाएं न्याय पाने के लिए कितनी असहाय होती हैं।
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट CBI को सौंपी जा चुकी है।
फोरेंसिक सबूत, वीडियो, चैट और मेडिकल रिपोर्ट भी केस का हिस्सा हैं।
अदालत में सुनवाई प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, लेकिन अभी तक कोई सजा नहीं हुई है।
ये केस पूरे देश के लिए एक टेस्ट केस बन चुका है। क्या प्रभावशाली परिवारों के सदस्य कानून के शिकंजे में आएंगे या एक बार फिर सत्ता, पैसा और रसूख न्याय को दबा देंगे?
भारत में यौन शोषण के मामलों में न्याय प्रक्रिया अक्सर लंबी और थकाऊ होती है। लेकिन जब मामला एक सांसद और राजनीतिक परिवार से जुड़ा हो, तब यह और भी जटिल हो जाता है। अब सवाल सिर्फ प्रज्वल रेवन्ना का नहीं, बल्कि देश की न्याय प्रणाली की साख का है।
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