उदयपुर। उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की गला काटकर की गई हत्या को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इस जघन्य हत्याकांड के आरोपियों को सजा नहीं मिली है। इसको लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र की जांच एजेंसी NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस केस की जांच राजस्थान पुलिस के हाथ में होती, तो दोषियों को अब तक सजा मिल चुकी होती।
पूर्व सीएम ने कहा कि पिछले छह महीनों से इस मामले की सुनवाई ही बंद है। अदालत में गवाहों के बयान तक पूरे नहीं हो सके हैं। उन्होंने इसे न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति और एजेंसी की लापरवाही करार दिया।
"अगर राज्य पुलिस को जांच का जिम्मा दिया गया होता तो दोषी अब तक जेल में होते और पीड़ित परिवार को न्याय मिल चुका होता," – अशोक गहलोत
28 जून 2022 को उदयपुर में कन्हैयालाल टेलर की दुकान में घुसकर दो लोगों ने धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी थी। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया गया था। देशभर में इसे आतंकी घटना करार दिया गया और आरोपियों के खिलाफ UAPA के तहत केस दर्ज हुआ।
एनआईए ने इस हत्याकांड को आतंकी साजिश मानते हुए जांच शुरू की थी। एजेंसी ने कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन अब तक अदालत में आरोप सिद्ध नहीं हो सके हैं। गहलोत ने सवाल उठाया कि यदि यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील नहीं होता, तो क्या इतनी लापरवाही संभव थी?
कन्हैयालाल के परिवार ने भी कई बार न्याय में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है। परिजनों का कहना है कि उन्हें सुरक्षा देने का वादा तो मिला, लेकिन अब तक अपराधियों को सजा न मिलना पीड़ा बढ़ा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान ने एक बार फिर इस हत्याकांड को राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में ला दिया है। NIA की जांच पर उठते सवाल, न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति और पीड़ित परिवार की पीड़ा – ये सभी पहलू बताते हैं कि इस मामले में न्याय अभी भी अधूरा है।
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