जयपुर/पीलूपुरा। राजस्थान में गुर्जर समाज एक बार फिर से आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलित है। रविवार को पीलूपुरा में हो रही महापंचायत में यह तय किया जाएगा कि समाज रेलवे ट्रैक पर जाकर विरोध दर्ज कराएगा या फिलहाल शांतिपूर्ण तरीके से सरकार को समय देगा। फिलहाल राज्य सरकार और प्रशासनिक अमला पूरी तरह सतर्क है।
गुर्जर समाज की तरफ से साफ चेतावनी दी गई है कि यदि रविवार दोपहर 12 बजे तक सरकार कोई ठोस आश्वासन नहीं देती है, तो महापंचायत के मंच से रेल रोक आंदोलन की घोषणा हो सकती है। आंदोलन की अगुवाई कर रहे गुर्जर नेता कई जिलों से समाज के प्रतिनिधियों को पीलूपुरा बुला चुके हैं।
राज्य में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच यह आंदोलन नया मोड़ ले सकता है। सामाजिक संगठन और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस महापंचायत पर नजर बनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि आगामी निकाय और पंचायत चुनावों में यह मुद्दा वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।
सूत्रों के अनुसार, गुर्जर समाज इस बार शांतिपूर्ण विरोध की जगह सीधा एक्शन मोड में आ सकता है। रेलवे ट्रैक पर बड़ी संख्या में समाज के लोगों के एकत्र होने की संभावना को देखते हुए रेलवे और पुलिस प्रशासन ने वैकल्पिक रूट और अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैयारी शुरू कर दी है।
पीलूपुरा को गुर्जर आंदोलन का प्रतीक स्थल माना जाता है, जहां पहले भी कई बार आंदोलन हुए हैं। 2025 के इस संभावित आंदोलन के लिए भी इसी स्थान को चुना गया है, जिससे अंदेशा है कि समाज फिर से उसी तरीके से आंदोलन को तेज कर सकता है जैसे अतीत में देखा गया है।
गुर्जर आंदोलन की यह नई लहर राजस्थान की राजनीति, प्रशासन और आम जनता तीनों पर असर डाल सकती है। आज दोपहर 12 बजे के बाद तय होगा कि आंदोलनकारी ट्रैक पर उतरेंगे या फिलहाल पीछे हटेंगे। सरकार के लिए यह परीक्षा की घड़ी है कि वह बातचीत से समाधान निकालती है या टकराव की स्थिति बनती है।
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