रणथंभौर टाइगर अटैक: 38 साल में 20 लोगों की मौत, बाघ ने दादी के सामने 7 साल के बच्चे को बनाया शिकार

सवाई माधोपुर : राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बार फिर दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। 7 साल के मासूम कार्तिक सुमन को एक बाघ ने उसकी दादी के सामने हमला कर जंगल में घसीट लिया। घटना उस वक्त हुई जब वे दोनों त्रिनेत्र गणेश मंदिर से दर्शन कर लौट रहे थे।

बाघ ने बच्चे को मुंह में दबोचकर जंगल में ले जाकर मार डाला और काफी देर तक शव के पास बैठा रहा। बाद में वनकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर बाघ को भगाया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।


त्रिनेत्र गणेश मंदिर की यात्रा पर रोक

इस दुखद घटना के बाद रणथंभौर किले और त्रिनेत्र गणेश मंदिर की यात्रा को 5 दिन के लिए रोक दिया गया है। मंदिर ट्रस्ट ने मृतक परिवार को 1.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। वहीं, वन विभाग और प्रशासन की ओर से भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है।

वन विभाग ने श्रद्धालुओं से जंगल में अकेले न जाने और सतर्क रहने की अपील की है।


बाघ हमलों का इतिहास: 1987 से अब तक 20 मौतें

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में मानव-वन्यजीव संघर्ष कोई नई बात नहीं है। आंकड़ों पर नजर डालें तो:

  • 1987: पहला हमला त्रिनेत्र गणेश मंदिर रोड पर दर्ज

  • 2005: खंडार क्षेत्र में फसल को पानी देते बुज़ुर्ग पर हमला

  • 2010 और 2012: प्रत्येक वर्ष 3 मौतें

  • 2015: 1 व्यक्ति की मौत

  • 2018: 2 मौतें

  • 2019: सबसे ज्यादा 5 मौतें

  • 2023 और 2024: हर वर्ष 1-1 मौत

  • 2025: अब तक 2 मौतें — एक बच्चा और एक युवक

इन आंकड़ों से साफ है कि इंसानों और बाघों के बीच टकराव लगातार गंभीर होता जा रहा है।


राजस्थान में कितने बाघ?

  • कुल बाघों की संख्या: 141

  • रणथंभौर में: 80 बाघ

  • सारिस्का (अलवर): 43 बाघ

  • मुकंदरा हिल्स (कोटा): 2 बाघ

  • रामगढ़ विषधारी (बूंदी): हाल में घोषित 52वां टाइगर रिजर्व


रणथंभौर टाइगर रिजर्व का इतिहास

  • स्थापना: 1955 में खेल अभ्यारण्य के रूप में

  • 1973: ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत टाइगर रिजर्व घोषित

  • क्षेत्रफल: 1700 वर्ग किमी

  • भूगोल: अरावली और विंध्य श्रंखलाओं के बीच

यह क्षेत्र बाघों के अलावा तेंदुआ, नीलगाय, चीतल, भालू, मगरमच्छ और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियों का घर है।


मानव-वन्यजीव संघर्ष क्यों बढ़ा?

विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • वन क्षेत्रों का सिमटना

  • टूरिज्म का बढ़ना

  • पारिस्थितिकीय बदलाव

इन कारणों से बाघों का मानव बस्तियों की ओर रुझान बढ़ा है। शिकार की कमी और घुमंतू बाघों की संख्या में इजाफा भी संघर्ष को बढ़ा रहे हैं।


निष्कर्ष:

रणथंभौर में हुई यह हालिया घटना एक गंभीर चेतावनी है कि जब तक वन्यजीवों और इंसानों के बीच संतुलन नहीं बनाया जाएगा, तब तक ऐसे दर्दनाक हादसे होते रहेंगे। सरकार, वन विभाग और आम नागरिकों को मिलकर सुरक्षा, संरक्षण और सह-अस्तित्व की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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