उदयपुर (राजस्थान): राजस्थान के उदयपुर जिले के गोगुंदा क्षेत्र के नांदेशमा में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। चालवा गांव निवासी लेरकी गमेती की पत्नी कमलेश गमेती को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन देर रात नांदेशमा के सरकारी अस्पताल ले गए, लेकिन अस्पताल का मुख्य द्वार बंद मिला। कोई डॉक्टर या स्टाफ भी मौजूद नहीं था।
अस्पताल के बंद गेट के बाहर कमलेश गमेती लगभग पांच घंटे तक असहनीय दर्द से तड़पती रही। रात करीब 3 बजे सड़क पर ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया। इस दौरान गांव की एक अन्य महिला ने नवजात की गर्भनाल काट कर प्रसव प्रक्रिया में मदद की।
घटना के बाद ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। आक्रोशित ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी को घटना की जानकारी दी। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो जाती तो महिला और नवजात दोनों को सुरक्षित माहौल मिल सकता था। अस्पताल की लापरवाही ने दोनों की जान को गंभीर खतरे में डाल दिया।
अस्पताल में तैनात चिकित्सक ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए बताया कि वह उदयपुर में रहते हैं, जहां उनकी 92 वर्षीय मां बीमार रहती हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में केवल एक नर्सिंग स्टाफ, एक लैब टेक्नीशियन और एक फार्मासिस्ट कार्यरत हैं। स्टाफ की भारी कमी के कारण अस्पताल की सेवाएं लगभग ठप जैसी स्थिति में हैं।
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