जयपुर। भीषण गर्मी और लगातार बढ़ते तापमान के बीच एक राहतभरी खबर यह है कि अब बिना AC लगाए भी घर को ठंडा रखा जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमक्खियों के छत्ते जैसी डिजाइन और गूड़-चूना जैसे देसी नुस्खों की मदद से घर का तापमान 4 से 10 डिग्री तक घटाया जा सकता है। यह उपाय न केवल सस्ते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।
आर्किटेक्ट्स और भवन विशेषज्ञों के अनुसार, हनीकॉम्ब यानी मधुमक्खी के छत्ते जैसी दीवार या जालीदार डिज़ाइन घर के भीतर हवा का संचार बेहतर बनाती है। इससे गर्म हवा बाहर निकलती है और ठंडी हवा अंदर आती है। इस डिज़ाइन को बनाने में 5,000 से 50,000 रुपये तक का खर्च आता है, जो किसी भी नए निर्माण या रेनोवेशन में संभव है।
छत पर सफेद पुताई की बजाय यदि गूड़ और चूने का लेप किया जाए तो यह परंपरागत देसी तरीका 4 डिग्री तक पारा गिरा सकता है। इसके अलावा फर्श और दीवारों पर पानी का छिड़काव, गीली बोरी या टाट की चादरें भी तापमान को नीचे लाने में मदद करती हैं।
उपाय | असर | खर्च अनुमान |
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ग्रीन रूफिंग (घास या गमले वाली छत) | 6-8 डिग्री तापमान घटता है | ₹3,000 - ₹30,000 |
एलुमिनियम या सिल्वर पेंट छत पर | 5-7 डिग्री ठंडक | ₹1,500 - ₹5,000 |
टेराकोटा टाइल्स / मिट्टी के घड़े कमरे में | नमी से ठंडक मिलती है | ₹500 - ₹5,000 |
पुराने घरों में मिट्टी की दीवारें या छत | प्राकृतिक ठंडक | न के बराबर खर्च |
आर्किटेक्ट राहुल जैन कहते हैं, "अगर हम घर की डिज़ाइन में प्राकृतिक हवा और रोशनी को प्राथमिकता दें, तो न सिर्फ बिजली की खपत घटेगी, बल्कि गर्मी में भी राहत मिलेगी।"
इको डिजाइनर अंजू शर्मा बताती हैं, "गूड़-चूना जैसे नुस्खे हमारी संस्कृति से जुड़े हैं और अब फिर से इनका इस्तेमाल बढ़ रहा है।"
हर कोई AC और कूलर अफोर्ड नहीं कर सकता
बिजली की खपत और बिल दोनों अधिक
पर्यावरण पर दबाव
अधिक गर्मी से सेहत पर भी असर
भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए जरूरी नहीं कि जेब ढीली की जाए। भारतीय परंपराओं, देसी नुस्खों और वास्तु के वैज्ञानिक सिद्धांतों को अपनाकर कम खर्च में भी घर को ठंडा रखा जा सकता है। जरूरत है बस जागरूकता और थोड़े से प्रयास की।
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