मेघवाल वर्सेज मेघवाल के सियासी घमासान के बीच वसुंधरा की देव दर्शन यात्रा ने सबको चौंकाया

राजस्थान में विधानसभा चुनाव करीब आने के साथ ही बीजेपी में अंदरूनी सियासत तेज हो गई है. कैलाश मेघवाल वर्सेज अर्जुन मेघवाल की जुबानी जंग को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि कैलाश (Kailash Meghwal) शुरू से ही राजे के करीबी रहे हैं. जबकि बीजेपी इसके पीछे सीएम गहलोत का खेल बता रही है. इस बीच बीजेपी की परिवर्तन यात्रा से दिन पहले राजे ने देव दर्शन यात्रा की घोषणा कर सबको चौंका दिया है. चुनावी साल में कैलाश मेघवाल की ओर से अर्जुनराम मेघवाल को घेरे जाने कई मायने निकाले जा रहे हैं. बीजेपी के कद्दावर नेता के अपनी ही पार्टी के मंत्री पर इन आरोपों के बाद सियासी बहस शुरू होना लाजिमी है.

इस बार बीजेपी की ओर से निकाली जा रही चार परिवर्तन यात्राओं में वसुंधरा पार्टी का चेहरा नहीं है. ऐसे में परिवर्तन यात्रा से ठीक एक दिन पहले राजे के देव दर्शन कार्यक्रम के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. कहने को यह राजे की निजी धार्मिक यात्रा है, लेकिन इस दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक जुट सकते हैं. बीजेपी की परिवर्तन यात्राओं से एक दिन पहले राजे शुक्रवार (1 सितंबर) को देव दर्शन यात्रा करेंगी. वे देव दर्शन की शुरुआत राजसमंद जिले में स्थिति चारभुजा मंदिर से कर रही हैं. इसी मंदिर से राजे ने साल 2013 और 2018 में भी विधानसभा चुनाव के समय यात्रा की शुरुआत की थी.

परिवर्तन यात्रा से पहले अचानक एक दिवसीय देव दर्शन का कार्यक्रम घोषित करके राजे ने एक बार फिर से सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है. बीजेपी दो सितंबर सवाई माधोपुर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से पहली परिवर्तन यात्रा शुरू करने जा रही है. इसमें केंद्रीय नेता आएंगे, लेकिन राजे शामिल होंगी या नहीं, इसका फिलहाल कोई कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है. वसुंधरा का धार्मिक स्थानों से शुरू से लगाव रहा है. इस बार परिवर्तन यात्रा से पहले राजे की देव दर्शन यात्रा को उनके प्रदेश में खुद को हिंदूवादी चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने के रूप में भी देखा जा रहा है.

दरअसल, परिवर्तन यात्राओं की जिम्मेदारी को लेकर असहमति भी नजर आ रही है. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा दूसरी परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी चाहती थी. क्योंकि एक तो इसी यात्रा के रूट में उनका निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ आता है. दूसरे इसी यात्रा में पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी के मुद्दे के कारण बीजेपी की स्थिति भी अच्छी नहीं है. राजे समर्थकों का कहना है कि यह स्थिति केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के कारण है. ऐसे में राजे इस यात्रा की जिम्मेदारी अपने ऊपर क्यों लें. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष जोशी बेणेश्वरधाम से शुरू होने वाली दूसरी परिवर्तन यात्रा की कमान चाहते थे. ऐसे में 1 सितंबर को राजे जिन-जिन जगहों पर जाएंगी, उनमें कई जगह दूसरी परिवर्तन यात्रा के रूट में शामिल हैं. यहां कम समय में ज्यादा भीड़ एकत्र करके राजे एक तरह से सीधे तौर पर सीपी जोशी को चुनौती देती और शक्ति प्रदर्शन करती नजर आएंगी.

बहरहाल, राजे शुक्रवार जयपुर से हेलिकॉप्टर से रवाना होकर सीधे राजसमंद जिले में स्थिति चारभुजा मंदिर पहुंचेगी. यहां दर्शन के बाद राजे हेलिकॉप्टर से नाथद्वारा पहुंचेंगी. नाथद्वारा दर्शन के बाद राजे सीधे बांसवाड़ा जिले में स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर जाएंगी. राजे जब भी बांसवाड़ा जाती हैं. त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन जरूर करती हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अब तक चार से पांच बार देव दर्शन यात्रा कर चुकी हैं. वहीं वो राजस्थान में तीन यात्राएं भी निकाल चुकी हैं. पहली बार राजे ने साल 2002 में यात्रा निकाली थी. इस यात्रा को परिवर्तन यात्रा का नाम दिया गया था. इस यात्रा में राजे ने एक साल में 200 विधानसभा सीटों को कवर किया था. इसके बाद वो राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं.

कैलाश मेघवाल ने आरोप किसके इशारे पर लगाए
दूसरी ओर राजे का नाम दबी जुबान में मेघवाल वर्सेज मेघवाल प्रकरण में भी आ रहा है. क्योंकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल राजे के करीबी रहे हैं. हाल ही में वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल की ओर से अपनी ही पार्टी के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल पर भ्रष्टातार के आरोप लगाकर पार्टी आलाकमान को चुनौती दे दी गई है. कैलाश तीन बार लोकसभा सांसद और अब पांचवीं बार विधायक हैं. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कैलाश मेघवाल ने ये आरोप क्यों लगाए? किसके इशारे पर लगाए? इसके किसको, क्या नफा-नुकसान हो सकता है? इसे लेकर राजनैतिक विश्वलेषक अपने अपने दृष्टिकोण से इसके मायने निकाल रहे हैं.

इस बीच विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर लगाए आरोपों के पीछे भाजपा प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को सीएम गहलोत का खेल नजर आ रहा है. सीएम का स्तर इतना गिर जाएगा यह समझ से परे है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से गहलोत ने तत्काल अर्जुन राम मेघवाल के खिलाफ जांच की बात कही है, इससे साफ है कि इसमें सीएम की ओछी राजनीति है. मेघवाल और सीएम दोनों ने एक-दूसरे की तारीफ की है, इसके पीछे जरूर कुछ न कुछ राजनीतिक मंशा रही होगी. पार्टी इस प्रकरण पर संज्ञान ले रही है, उचित कार्रवाई होगी.

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बीकानेर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से जांच कराने के दिए बयान पर पलटवार किया. मेघवाल ने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जब से बोला हूं, तब से सीएम गहलोत मेरे पीछे पड़े हैं. कोई गड़बड़ी की होती तो इतने वर्षों में जांच करवा लेते. उन्होंने कहा कि कैलाश मेघवाल खुद भाजपा के विधायक हैं. फिर भी मेरी आलोचना कर रहे हैं और मुख्यमंत्री गहलोत की तारीफ कर रहे है. इससे साफ अंदाजा लग रहा है कि कैलाश मेघवाल कांग्रेस में जा रहे हैं.

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