दरअसल, देश के अन्य महानगरों की तरह ही इंदौर में बढ़ते सीमेंटीकरण और घटते वन क्षेत्र की वजह से भूमिगत जल स्तर लगातार गिर रहा है. हाल ही में आई सेंट्रल ग्राउंडवॉटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर जिले में भूमि का जलस्तर 2012 में 150 मीटर था, वह 2023 में 160 मीटर (तकरीबन 560 फीट) नीचे जा चुका है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस इलाके में भूमिगत जल का इस्तेमाल 120 परसेंट तक पहुंच गया है. यही स्थिति रही तो 2030 तक भूमिगत जलस्तर 200 मीटर नीचे चला जाएगा और इंदौर में भयानक जल संकट की स्थिति निर्मित हो जाएगी.
इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए इंदौर जिला प्रशासन ने 18 मार्च से 30 जून तक सभी प्रकार के बोरिंग उत्खनन पर रोक लगा दी है. इस अवधि में जो भी व्यक्ति जिले की सीमा में वैध या अवैध तरीके से बोरिंग करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक इमरजेंसी होने पर एडीएम की अनुमति लेकर बोरिंग कराई जा सकेगी.
अब जबकि इंदौर में भी बेंगलुरु की तरह जल संकट गहरा रहा है, तो इंदौर नगर निगम ने भी पानी की आपूर्ति के लिए टैंकरों की निगरानी और दुरुपयोग पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है. इसके अलावा अब शहर भर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि जिन घरों की छत 1500 वर्ग फीट है, उनमें आवश्यक रूप से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाए. इसके लिए इंदौर नगर निगम और संबंधित स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से एक बार फिर अभियान चलाए जाने की तैयारी हो रही है.
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