अलवर के किशनगढ़बास स्थित रूंध गिदावड़ा के बीहड़ में मेदावास निवासी इकबाल और वारिस नाम के व्यक्ति बीफ की मंडी चलाते थे। पुलिस के मुताबिक इकबाल और वारिस इस पूरी बीफ मंडी के मास्टर मांइड थे।
पुलिस ने मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि गिरोह के मास्टर माइंड वारिस ने आईपीएस का फर्जी आई कार्ड बना रखा था। मंडी चलाने के लिए उसने राजस्थान और हरियाणा पुलिस से सांठ-गांठ कर रखी थी।
इतना ही नहीं इन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा करने के बाद निगम के अधिकारियों से मिलीभगत कर बिजली कनेक्शन तक ले लिए थे। हालांकि दोनों आरोपी अभी फरार है लेकिन बताया जा रहा है कि इन दोनों के साथ गिरोह में शामिल शामि हब्बी, मन्नान, शाहरुख, साहुन और सोहिल भी फरार चल रहे है इनके हरियाणा में छुपे होने की जानकारी सामने आई है।
वारिस ने बना रखा था आईपीएस का फर्जी कार्ड
गिरोह के मास्टरमाइंड वारिस ने आईपीएस का फर्जी कार्ड बनवा रखा था। यह जमीनों पर कब्जे और अवैध बिजली कनेक्शन दिलाने का काम करता था। वहीं इकबाल हरियाणा और राजस्थान पुलिस से सांठगांठ का जिम्मा भी संभालता था। यह आरोपियों की जमानत से लेकर बीफ सप्लायर तक उपलब्ध कराता था। ग्रामीणों का कहना है कि दोनों आरोपियों ने पिछले कई वर्षों से इस अवैध कमाई से बड़े-बड़े मकान बना लिए थे।
बीफ मंडी चलाने में गिरोह की 4 लेवल व्यवस्था
रूंध गिदावड़ा में गोकशी और बीफ मंडी का नेटवर्क 4 स्तरीय व्यवस्था से संचालित था।
पहला: पर गायों को पिकअप से जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर सहित हरियाणा से तस्करी कर रूंध गिदावड़ा पहुंचा रहे थे।
दूसरा: गोकशी करने वाले लोग गायों का कत्ल कर बीफ मंडी लगाकर सप्लायरों को बेचने का काम कर रहे थे।
तीसरा: ये लोग सप्लाई के लिए चोरी की गाड़ियों और बाइक्स का इस्तेमाल करते थे। आसपास के इलाकों के अलावा हरियाणा तक पहुंचा रहे थे।
चौथा: गांव में ही बीफ की बिरयानी बनाकर सप्लाई करते थे।
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